हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "बिहार उल-अनवार" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الکاظم علیه السلام:
بِئْسَ الْعَبـْدُ عَبـْدٌ يَكُونُ ذا وَجْهَيْنِ وَذا لِسانَيْنِ يـُطْرى اَخـاهُ اِذا شاهـَدَهُ وَيـَأْكُلُهُ اِذا غابَ عَـنْه
इमाम मूसा काज़िम (अ) ने फ़रमाया:
दो मुहा और दो ज़बान आदमी कितना बुरा है। जब कभी वह अपने दीनी भाई को देखता है तो उसकी प्रशंसा करता है, उसकी खुशामद करता है, परन्तु पीठ पीछे उसकी निन्दा (बुराई) करता है, उसे खा जाता है (अर्थात ग़ीबत करता है)।
बिहार उल-अनवार, भाग 75, पेज 31
आपकी टिप्पणी